जोहार दोस्तों मैं ताजीम अंसारी आज पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब की 1500वीं विलादत के अवसर पर इस वर्ष गरगडीहा और आस-पास के इलाकों में जुलूसे मोहम्मदी बड़े ही धूमधाम, श्रद्धा और धार्मिक उत्साह के साथ निकाला गया। जुलूस को लेकर पूरे क्षेत्र में उल्लास का माहौल देखा गया। इस अवसर पर विभिन्न अंजुमनों के स्वागत की विशेष तैयारियाँ की गई थीं। गुलशन-ए-रज़ा, गरगडीहा की ओर से एक मुख्य स्वागत मंच तैयार किया गया, जहाँ जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों का गर्मजोशी से इस्तकबाल किया गया। इसके अलावा गांव के विभिन्न हिस्सों में छोटे-छोटे स्वागत स्टॉल भी लगाए गए थे। कारी गुलाम मुर्सलीन रिज़वी और मौलाना गुलाम अली ने बताया कि जुलूस हमेशा की तरह अंजुमन गुलशन-ए-रज़ा, गरगडीहा के नेतृत्व में निकाला गया। इसमें बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों समेत बड़ी संख्या में लोग शरीक हुए। पूरे गांव में "लब्बैक या रसूलल्लाह" के नारों की गूंज माहौल को इस्लामी रंग में रंग रही थी। इस मौके पर डॉ. सुल्तान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से डीजे और हाई-फाई साउंड सिस्टम जैसी चीज़ों ने धार्मिक जुलूसों की गरिमा को प्रभावित किया है। उन्होंने इसे “ध्वनि प्रदूषण और आत्मिक विघ्न” बताते हुए कहा कि गरगडीहा की ओर से पिछले तीन वर्षों से डीजे के विरोध में एक सामाजिक आंदोलन चलाया जा रहा है, जिसे लोगों का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि इस बार भी डीजे का प्रयोग करने वाली अंजुमनों को नज़रअंदाज़ किया जाएगा, जबकि शालीनता और अनुशासन के साथ चलने वाले समूहों का विशेष स्वागत किया गया। संस्था की कोशिश रही कि जुलूस पूरी तरह इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप, सादगी और शांति के साथ सम्पन्न हो। इसी तरह की और ख़बरों के लिए जुड़े रहें – द पब्लिक न्यूज़, गिरिडीह से
जोहार दोस्तों मैं ताजीम अंसारी आज पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब की 1500वीं विलादत के अवसर पर इस वर्ष गरगडीहा और आस-पास के इलाकों में जुलूसे मोहम्मदी बड़े ही धूमधाम, श्रद्धा और धार्मिक उत्साह के साथ निकाला गया। जुलूस को लेकर पूरे क्षेत्र में उल्लास का माहौल देखा गया। इस अवसर पर विभिन्न अंजुमनों के स्वागत की विशेष तैयारियाँ की गई थीं। गुलशन-ए-रज़ा, गरगडीहा की ओर से एक मुख्य स्वागत मंच तैयार किया गया, जहाँ जुलूस में शामिल होने वाली अंजुमनों का गर्मजोशी से इस्तकबाल किया गया। इसके अलावा गांव के विभिन्न हिस्सों में छोटे-छोटे स्वागत स्टॉल भी लगाए गए थे। कारी गुलाम मुर्सलीन रिज़वी और मौलाना गुलाम अली ने बताया कि जुलूस हमेशा की तरह अंजुमन गुलशन-ए-रज़ा, गरगडीहा के नेतृत्व में निकाला गया। इसमें बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों समेत बड़ी संख्या में लोग शरीक हुए। पूरे गांव में "लब्बैक या रसूलल्लाह" के नारों की गूंज माहौल को इस्लामी रंग में रंग रही थी। इस मौके पर डॉ. सुल्तान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से डीजे और हाई-फाई साउंड सिस्टम जैसी चीज़ों ने धार्मिक जुलूसों की गरिमा को प्रभावित किया है। उन्होंने इसे “ध्वनि प्रदूषण और आत्मिक विघ्न” बताते हुए कहा कि गरगडीहा की ओर से पिछले तीन वर्षों से डीजे के विरोध में एक सामाजिक आंदोलन चलाया जा रहा है, जिसे लोगों का व्यापक समर्थन मिला है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि इस बार भी डीजे का प्रयोग करने वाली अंजुमनों को नज़रअंदाज़ किया जाएगा, जबकि शालीनता और अनुशासन के साथ चलने वाले समूहों का विशेष स्वागत किया गया। संस्था की कोशिश रही कि जुलूस पूरी तरह इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप, सादगी और शांति के साथ सम्पन्न हो। इसी तरह की और ख़बरों के लिए जुड़े रहें – द पब्लिक न्यूज़, गिरिडीह से
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